शारिक़ रब्बानी, शायर साहित्यकार व समाज सेवी, भोपाल (मध्यप्रदेश)- भारत। मुकुर लघुकथा पढेपछिको प्रतिक्रिया

 मुकुर  लघुकथा का सबसे महत्वपूर्ण तत्व इसकी संक्षिप्त है।साथ ही लघुकथा किसी घटना या परिस्थिति के एक छोटे प्रन्तु महत्वपूर्ण पल पर केंद्रित होती है।जो मानवीय सत्य को उजागर करती है। बद्रीढकाल हीरामणि ज्यु कोहलपुर, नेपाल गंज (नेपाल) के ऐसे नेपाली कवि, साहित्यकार व समाज सेवी है जिनकी ख्याति कोहलपुर के अतिरिक्त अन्य शहरों में भी फैली हुई है। आप अत्यंत मृदु भाषी एवं विभिन्न मानवीय गुणों से युक्त है। जिनसे मैं लगभग एक दशक (दस वर्षों) से परिचित हुं। सत्यम शिवम् सुन्दरम , अर्थात सत्य कल्याण एवं सौंदर्य में विश्वास रखने वाले बद्रीढकाल हीरामणि ज्यु का लघु कथा संग्रह ,मुकुर जिसका अर्थ आईना, दर्पण या शीशा भी होता है।में सम्मिलित समस्त लघुकथाएं समाज को आईना दिखाने का कार्य करती है। लघु कथा में सम्मिलित लघुकथाएं _क्रांति, स्वतंत्रता,कथ्य, बेईमानी, फोन नम्बर, महान कार्य, प्रतिफल,भाईरल, अनुशासन, श्राद्ध,झोला, अहंकार,दिगो विकास, गुरु,भान्छा, सिलिंडर, सन्देश, संकटमोचन, पुण्य,विसरदा , डिजिटल युद्ध, दरबार की देवी, अस्त-व्यस्त, जादूगर, सृष्टि, भावना, आकृति, संकेत,बहादुरे, समझदारी,ज्वरों,आमा, युक्ति,बकस, मानवता, शिविर, दलित,धन की विद्या, प्रशासन, संस्कार, समाधान, टिफिन, रहस्य, एकाग्रता, एवं नियत, सभी अपने शीर्षक के अनुसार ही पाठक को सन्देश प्रदान करती है। जिससे बद्रीढकाल हीरामणि ज्यु की लघुकथा में दक्षता का भी आभास होता है। और समाज को सटीक सन्देश भी लघुकथा के माध्यम से पहुंचता है। क्रांति में कम्युनिस्ट कार्यक्रम ,zen -z, रोमांटिक नृत्य और वास्तविक समाज वाद, फ़ोन नम्बर -मे महिला का मधुर मधुर स्वर में फ़ोन आना, पांच वर्ष पूर्व एक मेला में गायन और नृत्य में साथ साथ रात्रि व्यतीत करने का स्मरण, प्रतिफल -,में अनिवार्य टयुशन औशिक्षक, श्राद्ध -मे पंडित द्वारा प्रस्तुत सामानों की सूची, झोला _मे विद्यालय के बच्चों,भान्सा-मे पाहुना आगमन, पुण्य _मे धार्मिक कार्य, दरबार की देवी -राजा निरंजन,आमा-मे सासू आमा, इसी प्रकार अन्य लघु कथाओं में समय समय पर आवश्यकतानुसार प्रयोग किए गए , विभिन्न शब्द वाक्य एवं पात्र, बद्रीढकाल हीरामणि ज्यु द्वारा लिखी गई लघु कथाओं को और भी मजबूती प्रदान करते है। समाजिक समानता, प्रेम , मानवता ,साम्प्रदायिक सद्भाव, उच्च कोटि की शिक्षा, ईमानदारी, बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं, महिला स्वतंत्रता, महिला सशक्तिकरण, आर्थिक विकास, आदि अनेक ऐसे आत्मीय मुद्दे और दृष्टिकोण है जिनकी और समाज को आकर्षित करने के लिए लेखक को अपनी लेखनी का प्रयोग करना पड़ता है। साथ ही समाज में व्याप्त विभिन्न कुरीतियों, बेईमानी, शोषण आदि को भी उजागर करना पड़ता है।और एक अच्छे लेखक का यहकार्य भी है। और यही कार्य बद्रीढकाल हीरामणि ज्यु ने भी अपनी विभिन्न लघु कथाओं में किया है। जिसके लिए वह बधाई के पात्र हैं। मुझे आशा है कि बद्रीढकाल हीरामणि ज्यु का लघु कथा संग्रह _मुकुर ,जब पाठकों के सम्मुख आएगा तो पाठकों को अत्यंत पसंद आएगा। साथ ही यह कथा संग्रह नेपाली अंग्रेजी लघु कथा संग्रह का एक महत्वपूर्ण दस्तावेज के रूप में भी विभिन्न पुस्तकालयों और साहित्य प्रेमियों, शिक्षाविदों और समाज सेवीयों के पास संग्रहित और सुरक्षित किया जाएगा। मेरी हार्दिक शुभकामनाएं बद्रीढकाल हीरामणि ज्यु के साथ है।शारिक़ रब्बानी, शायर साहित्यकार व समाज सेवी, भोपाल (मध्यप्रदेश)- भारत।

नेपाली अनुवाद 

मुकुर

लघुकथाको सबैभन्दा महत्वपूर्ण तत्त्व यसको संक्षिप्तता हो। साथै लघुकथा कुनै घटना वा परिस्थितिको एउटा सानो तर महत्वपूर्ण पलमा केन्द्रित हुन्छ। जसले मानवीय सत्यलाई उजागर गर्छ। बद्रीढकाल हीरामणि ज्यू कोहलपुर, नेपालगञ्ज (नेपाल) का यस्ता नेपाली कवि, साहित्यकार र समाजसेवी हुन् जसको ख्याति कोहलपुरबाहेक अन्य शहरहरूमा पनि फैलिएको छ। उहाँ अत्यन्त मृदुभाषी तथा विभिन्न मानवीय गुणहरूले युक्त हुनुहुन्छ। जसबाट म लगभग एक दशक (दस वर्ष) देखि परिचित छु। सत्यम् शिवम् सुन्दरम्, अर्थात् सत्य, कल्याण र सौन्दर्यमा विश्वास राख्ने बद्रीढकाल हीरामणि ज्यूको लघुकथा संग्रह ‘मुकुर’ जसको अर्थ ऐना, दर्पण वा शीशा पनि हुन्छ। यसमा समावेश सबै लघुकथाहरूले समाजलाई ऐना देखाउने काम गर्छन्। लघुकथा संग्रहमा समावेश लघुकथाहरू—क्रान्ति, स्वतन्त्रता, कथ्य, बेइमानी, फोन नम्बर, महान् कार्य, प्रतिफल, भाइरल, अनुशासन, श्राद्ध, झोला, अहंकार, दिगो विकास, गुरु, भान्सा, सिलिन्डर, सन्देश, संकटमोचन, पुण्य, विसर्दा, डिजिटल युद्ध, दरबारकी देवी, अस्तव्यस्त, जादूगर, सृष्टि, भावना, आकृति, संकेत, बहादुरे, समझदारी, ज्वरो, आमा, युक्ति, बक्स, मानवता, शिविर, दलित, धनको विद्या, प्रशासन, संस्कार, समाधान, टिफिन, रहस्य, एकाग्रता र नियत—सबै आफ्नो शीर्षकअनुसार नै पाठकलाई सन्देश प्रदान गर्छन्। जसबाट बद्रीढकाल हीरामणि ज्यूको लघुकथामा दक्षताको पनि आभास हुन्छ। र समाजलाई सटीक सन्देश पनि लघुकथाको माध्यमबाट पुग्छ। क्रान्तिमा कम्युनिस्ट कार्यक्रम, जेन–जेड, रोमान्टिक नृत्य र वास्तविक समाजवाद, फोन नम्बरमा महिलाको मधुर स्वरमा फोन आउनु, पाँच वर्षअघि एउटा मेलामा गायन र नृत्यमा सँगै रात बिताएको स्मरण, प्रतिफलमा अनिवार्य ट्युसन र शिक्षक, श्राद्धमा पण्डितद्वारा प्रस्तुत सामानको सूची, झोलामा विद्यालयका बालबालिका, भान्सामा पाहुना आगमन, पुण्यमा धार्मिक कार्य, दरबारकी देवीमा राजा निरंजन, आमामा सासू–आमा, यस्तै अन्य लघुकथाहरूमा समय–समयमा आवश्यकताअनुसार प्रयोग गरिएका विभिन्न शब्द, वाक्य र पात्रहरूले बद्रीढकाल हीरामणि ज्यूद्वारा लेखिएका लघुकथाहरूलाई थप बलियो बनाउँछन्।

सामाजिक समानता, प्रेम, मानवता, साम्प्रदायिक सद्भाव, उच्च कोटिको शिक्षा, इमानदारी, उत्तम स्वास्थ्य सुविधा, महिला स्वतन्त्रता, महिला सशक्तीकरण, आर्थिक विकास आदि अनेक यस्ता आत्मीय मुद्दा र दृष्टिकोणहरू छन् जसतर्फ समाजलाई आकर्षित गर्न लेखकले आफ्नो लेखनीको प्रयोग गर्नुपर्छ। साथै समाजमा व्याप्त विभिन्न कुरीति, बेइमानी, शोषण आदिलाई पनि उजागर गर्नुपर्छ। र यो राम्रो लेखकको पनि काम हो। र यही काम बद्रीढकाल हीरामणि ज्यूले पनि आफ्ना विभिन्न लघुकथाहरूमा गर्नुभएको छ। जसका लागि उहाँ बधाईका पात्र हुनुहुन्छ।

मलाई आशा छ कि बद्रीढकाल हीरामणि ज्यूको लघुकथा संग्रह ‘मुकुर’ जब पाठकहरूको सामु आउनेछ तब पाठकहरूलाई अत्यन्त मन पर्नेछ। साथै यो कथा संग्रह नेपाली–अङ्ग्रेजी लघुकथा संग्रहको एउटा महत्वपूर्ण दस्तावेजका रूपमा विभिन्न पुस्तकालयहरू तथा साहित्यप्रेमी, शिक्षाविद् र समाजसेवीहरूकहाँ सङ्ग्रहित र सुरक्षित गरिनेछ। मेरो हार्दिक शुभकामना बद्रीढकाल हीरामणि ज्यूसँग छ।



—शारिक रब्बानी, शायर, साहित्यकार तथा समाजसेवी, भोपाल (मध्यप्रदेश)–भारत।  





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